क्रोध करने से बचें अन्यथा शरीर में हो जाएंगी, सैकड़ों प्रकार की बीमारियां!

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आज कल की इस भाग-दौड़ भरी जिंदगी में गुस्सा और नेगेटिव इमोशंस आना बहुत ही आम बात हो गई है। लेकिन क्या आपको पता है कि, इस गुस्से और नेगेटिव इमोशंस का हमारे शरीर पर कितना बुरा असर पड़ता है। इससे सिर्फ स्ट्रेस या ब्लड प्रेशर जैसी समस्याएं ही नहीं होती हैं, बल्कि इससे हमारे ऑर्गन्स को भी काफी नुकसान पहुंचता है।
डॉक्टर्स का मानना है कि, हम अपनी जिंदगी से जितना ज्यादा खुश रहेंगे, उतनी ही हमारी सेहत अच्छी रहेगी। आइये जानते हैं, गुस्से और नेगेटिव इमोशंस से शरीर में होने वाले नुकसान के बारे में…
गुस्सा
जब हमें ज्यादा गुस्सा आता है तो हमारे शरीर में सायटोकिनेस नाम का हॉर्मोन बनने लगता है। जब इस हॉर्मोन का लेवल ज्यादा बढ़ जाता है तो, हमें आर्थराइटिस, डायबीटीज और दिल की और कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियों होने का खतरा बढ़ जाता है।
दुख/शोक
जब हम ज्यादा दुखी होते हैं तो हमारे शरीर में CRH नाम का हॉर्मोन बनता है जो कि हमारे अंदर एंग्जाइटी बढ़ाता है। जब इस हॉर्मोन का लेवल ज्यादा बढ़ जाता है तो दिल की बीमारियां और अल्सर जैसी बीमारियां होने का खतरा भी बढ़ जाता है।
चिंता
चिंता हमारी जिंदगी का तो एक हिस्सा ही बन चुकी हैं। लेकिन ज्यादा चिंता करने से हमारी बॉडी में कार्टिसोल नाम का हॉर्मोन बनना शुरू हो जाता है। इस हॉर्मोन का लेवल बढ़ने से थायरॉयड, डायबीटीज, हाई बीपी और हड्डियों की तकलीफ जैसी समस्याएं होने का खतरा होता है।
तनाव
इस भाग दौड़ भरी जिंदगी में तनाव एक आम बात हो गई है, लेकिन क्या आपको पता है कि तनाव लेने से हमारी बॉडी में ऐड्रेनलिन और कार्टिसोल नाम के हॉर्मोंस बनते हैं जिसके ज्यादा होने पर डायबीटीज, एंग्जायटी, दिल की बीमारी, मोटापा बढ़ने जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
डर
डर हमारे ब्रेन में इलेक्ट्रिकल और केमिकल ऐक्टिविटी को बढ़ा देता है जिसके कारण हमारी बॉडी में ऐड्रेनलिन नाम का हॉर्मोन बनता है। यह हॉर्मोन एंग्जायटी, दिल की बीमारी का कारण भी बन सकता है।
डिप्रेशन
तनाव, दुख, चिंता जैसी आदतें हमारे डिप्रेशन के कारण बन जाती हैं। यही डिप्रेशन हमारी बॉडी में सेरोटोनिन और डोपामाइन हॉर्मोन का स्तर कम कर देता है जिसके कारण हमें दर्द, एंग्जायटी, नींद की कमी, दिल की बीमारी जैसी समस्याएं होने लगती हैं।
सदमा
सदमा बहुत ही चिंता जनक स्थिति होती है जिससे कि शरीर में ब्लड सर्कुलेशन धीमा हो जाता है और ऑक्सीजन की कमी होने लगती है। इस स्थिति के कारण हमारे शरीर में इपिनेफ्रिन और ऐड्रेनलिन नाम के हॉर्मोंस बनते हैं जिससे हमें हार्ट अटैक, ब्रेन स्ट्रोक भी हो सकता है।

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